जयपुर। प्रदेश के दो गांव ऐसे हैं, जहां आर्थिक रूप से सम्पन्न होने के बावजूद लोग पक्के घर नहीं बनाते और ना ही इन गांवों में दूल्हा घोड़ी चढ़ता है। इसके पीछे इन लोगों की अपनी मान्यताएं हैं। इन लोगों का मामना है कि अगर इन्होंने पक्का घर बनाया या फिर दूल्हा घोड़ी पर चढ़ा तो विपदा आ जाएगी।
इनमें एक गांव अजमेर जिले का देवमाली और दूसरा डूंगरपुर जिले का खरिया गांव है। इन गांवों की कहानी बड़ी दिलचस्प है। यहां के लोग आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी पक्के का घर नहीं बनाते हैं और मिट्टी के घरों में रहते हैं। ग्रामीणों का मानना है कि पक्का घर बनते ही कोई आपदा आ सकती है। खाना बनाने के लिए मिट्टी के चूल्हे का इस्तेमाल किया जाता है। इन गांवों में शादी के दौरान दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बिठाया जाता है।
ग्रामीणों का मानना है कि इससे विवाह के बाद हादसे हो जाते हैं। देवमाली गांव के ग्रामीण खुद को एक ही पूर्वज की संतान मानते हैं। यहां के निवासी भैरूराम जादौन ने बताया कि गांव में जब भी किसी ने पक्का घर बनाया तो वह गिर गया। जहां ये लोग इसे मान्यता तो वहीं अन्य लोग इसे अंधविश्वास मानते है।
इसी तरह खारिया गांव में 90 फीसदी आदिवासी रहते हैं। इस गांव के लोग भी आपदा के भय से पक्के घर नहीं बनाते हैं। खारिया के लोगों का कहना है कि कई सालों पहले लोगों ने पत्थर के घर बनाए थे, लेकिन वे गिर गए, तब से गांव में कच्चे घर बनते है। इन दोनों ही गांव में पक्के घर बनाने को लेकर सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने कई बार ग्रामीणों से बात की, लेकिन वे किसी की बात मानने को तैयार नहीं है।
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